पैरों के सेंसरी नर्व की मदद से 60 वर्षीय महिला की आंखों को दी दोबारा रोशनी,कॉर्निया नर्व सेंसरी सिस्टम के खराब होन के कारण महिला के कॉर्निया में स्वस्थ नहीं हो पा रहे थे।
मुंबई के एक अस्पताल ने अपने तरह की पहली सर्जरी करते हुए एक 60 वर्षीय दृष्टिविहीन महिला की आंखों को रोशनी दी है। मुंबई के वासी स्थित हीरानंदानी अस्पताल के डॉक्टरों की टीम ने महिला की कॉर्नियल नर्व ट्रांसप्लांट सर्जरी की। कॉर्नियल ट्रांसप्लांटेशन या कॉर्नियल ग्राफ्टिंग सर्जरी में पीड़ित के क्षतिग्रस्त या बीमार कॉर्निया (पुतलियों का बाहरी हिस्सा) को दान में मिले कॉर्निया ऊतकों से बदल दिया जाता है। फोर्टीस नेटवर्क हॉस्पिटल के इस अस्पताल में डॉक्टर विनोद विज के नेतृत्व वाली टीम ने महिला के पैरों में से नर्व (तंत्रिका तंतु) निकाल आंखों में रोपित किए। महिला के आंखों के तंत्रिका तंतु को उसके माथे के तंत्रिका तंत्र से जोड़ा गया।
कॉर्निया नर्व सेंसरी सिस्टम के खराब होन के कारण महिला के कॉर्निया में स्वस्थ नहीं हो पा रहे थे। महिला को हर्पस सिम्प्लेक्स वायरस (एसएसवी) नामक बीमारी थी। इस बीमारी के कारण महिला की आंखों और नाक, मुंह, गले और जननांगों पर वायरस संक्रमण के कारण विकार उत्पन्न हो गए थे। इन विकार की वजह से महिला के कॉर्निया की संवेदन खत्म हो गई थी।
महिला की सर्जरी से जुड़े डॉक्टर सुनील मोरेकर ने बताया कि डॉक्टरों ने नर्व ग्राफ्टिंग नई तकनीक का प्रयोग करते हुए सर्जरी करने का जोखिम लिया। डॉक्टर के अनुसार इस विशेष तकनीक से कॉर्नियल ट्रांसप्लांट दुनिया के कुछ ही गिने-चुने अस्पतालों में होता है। डॉक्टर सुनील मोरेकर ने कहा कि अस्पताल को अपनी उपलब्धि पर गर्व है। डॉक्टर मोरेकर के अनुसार भारतीय सर्जरी इतिहास में एक मील का पत्थर है।
सर्जरी से जुड़े डॉक्टर हर्षवर्धन घोरपड़े ने कहा कि ऑपरेशन के बाद महिला की आंखों की रोशनी 70 प्रतिशत तक वापस आ गयी है। डॉक्टरों के अनुसार ऐसे ऑपरेशन के बाद मरीज को को स्वस्थ होने में छह से आठ हफ्ते लग सकते हैं। डॉक्टरों के अनुसार ऑपरेशन के अगले दिन ही महिला की आंखों की स्थिति बेहतर होने लगी थी। डॉक्टरों के अनुसार महिला के संवेदना तंत्र को पूरी तरह से सामान्य रूप से काम करने में थोड़ा वक्त लग सकता है।