लखनऊ |
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) द्वारा नोटबंदी के बाद दिल्ली के करोल बाग स्थित यूनियन बैंक ऑ$फ इंडिया के अपने पार्टी अकाउंट में गत 02 से 09 दिसंबर के बीच 104 करोड़ रुपये के पुराने नोट जमा कराये जाने के संबंध में निर्वाचन आयोग ने पार्टी को बड़ी राहत दी है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंड पीठ में जनहित याचिका दायर करने वाले प्रताप चंद्रा की अधिवक्ता डॉ नूतन ठाकुर ने आज यहां बताया कि निर्वाचन आयोग ने 29 अगस्त तथा 19 नवंबर 2014 को वित्तीय पारदर्शिता सबन्धी कई निर्देश पारित किये थे। इन निर्देशों में कहा गया है कि कोई भी राजनीतिक दल चंदे में प्राप्त नकद धनराशि को प्राप्ति के 10 कार्यकारी दिवस के अन्दर पार्टी के बैंक अकाउंट में अवश्य ही जमा करा देगा और इन निर्देशों का उल्लंघन किये जाने पर पार्टी के खिलाफ निर्वाचन चिन्ह (आरक्षण एवं आवंटन) आर्डर 1968 के प्रस्तर 16 ए में मान्यता रद्द करने समेत तमाम कार्यवाही की जा सकती है।
प्रताप चंद्रा ने अदालत में कहा था कि 08 नवबर के बाद बसपा ने 104 करोड़ रुपये जमा कराये, जो सीधे-सीधे इन निर्देशों का उल्लंघन है, जिसपर कोर्ट ने आयोग को तीन माह में कार्यवाही के आदेश दिए थे। डॉ नूतन ने बताया कि आयोग के दो मार्च के नोटिस पर बसपा ने अपने 12 मार्च को दिये जवाब में स्वीकार किया कि उन्होंने नोटबंदी के बाद 104.36 करोड़ कैश जमा कराया पर साथ ही कहा कि पार्टी का मात्र एक अकाउंट दिल्ली में है, अत: पूरे देश से पैसा पहले दिल्ली लाया जाता है और फिर जमा होता है।