इंदौर।
गिलहरी के चार बच्चों को जिंदगी देने के बाद कृष्णपुरा छत्री के पास बने पंडाल के ‘बाहुबली गणेश’ चतुर्थी के 23वें दिन विसर्जित हो गए। सोमवार को प्राणी संग्रहालय की टीम ने उनकी सूंड से बच्चों को निकाल दिया, जिसके बाद गिलहरी एक-एक कर बच्चों को मुंह में दबाकर सुरक्षित स्थान पर ले गई।
गिलहरी हो रही थी विचलित
प्राणी संग्रहालय के कर्मचारी राकेश यादव जब घोंसले से बच्चों को निकाल रहे थे तो यह देख गिलहरी विचलित हो रही थी। मूर्ति के पास रखी मेज पर बच्चों को रख जब कर्मचारी आसपास नए घोंसले के लिए सुरक्षित स्थान देख रहे थे, तभी गिलहरी घोंसले के पास आई और एक बच्चे को आहिस्ता से मुंह में दबाकर ले गई।
टीम समझ चुकी थी कि वह खुद ही बच्चों को सुरक्षित स्थान पर ले जाएगी। इसके बाद पंडाल को कुछ देर के लिए बंद कर दिया गया और गिलहरी एक-एक कर चारों बच्चों को ले गई। शाम को बम-बम नाथ सेवा समिति ने गणेश आरती कर पंडाल में ही दू और पानी की बौछार से अनंत चतुदर्शी के 13 दिन बाद मूर्ति विसर्जित कर दी। पंडाल में 22 दिन से गणपति बप्पा विराजित थे। अनंत चतुदर्शी पर जब भक्त मूर्ति की आरती के लिए पहुंचे तो सूंड में घोंसला दिखाई देने के बाद विसर्जन टाल दिया गया था।