खंडवा।
पानी में आधे डूबे 21 मीटर ऊंचे खंभों पर बिछे तारों के जरिए नागरबेड़ा टापू पर बिजली पहुंचाने का काम किया जा रहा है ताकि हनुवंतिया और सैलानी टापू की तरह यह भी जल पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित हो सके। टापू को रोशन करने के लिए 12 किमी दूर से नर्मदा के बैक वॉटर से होकर यहां बिजली पहुंचाने का काम किया जा रहा है। टापू पर एक पॉवर ग्रिड तैयार हो रहा है। 9 किमी क्षेत्र में 21 मीटर लंबे खंभों से बैकवाटर के बीच से टापू तक बिजली ले जाने का यह पहला प्रयास है। इस काम पर करीब 5 करोड़ रु खर्च होंगे।
पर्यटन बढ़ाना है मकसद
इंदिरासागर और ओंकारेश्वर बांध के बैकवाटर में उभरे टापुओं पर निजी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए पर्यटन विकास निगम लगातार कोशिश कर रहा है। मूलभूत सुविधाओं की कमी के चलते नामी कंपनियां यहां रिसोर्ट या होटल के लिए निवेश करने में रूचि नहीं ले रही हैं। निगम ने नागरबेड़ा टापू को रोशन करने का निर्णय लिया है। पॉवर ग्रिड के साथ ही पर्यटकों के लिए मोटर बोट और क्रूज से टापू पर पहुंचने के लिए जेटी (रेम्प) का निर्माण भी होगा।
ऐसे पहुंचेगी बिजली
नागरबेड़े के पॉवर ग्रिड तक बीड़ के निकट शिवरिया से डबल सर्किट लाइन के माध्यम से बिजली पहुंचेगी। टापू पर बिजली गुल न हो इसके लिए 132 केवी मूंदी और 132 केवी खंडवा उपकेंद्रों से डबल सप्लाई रहेगी। शिवरिया से 12 किमी लंबी लाइन 3 किमी बैकवाटर में से गुजरेगी।