कोलकाता |
नोटबंदी के बाद ब्लैक मनी से बड़े पैमाने पर सोने की खरीदारी की गई थी या फिर इन अज्ञात पैसों को फर्जी कंपनियां बनाकर उसमें खपाया गया था। नोटबंदी के बाद देशभर में पड़े छापों के दौरान यह जानकारी सामने आई थी। आयकर विभाग के सूत्रों ने बताया कि ब्लैक मनी रखने वाले लोगों ने ये पैसे बैंकों में डिपॉजिट नहीं किए क्योंकि वे अपनी पहचान गुप्त रखना चाहते थे। नोटबंदी के दौरान कई जूलर्स ने लोगों की ब्लैक मनी को सोने में बदल दिया।
जांच में शामिल रहे एक अधिकारी ने कहा, ‘ पिछले साल 8 नवंबर को पीएम नरेंद्र मोदी की नोटबंदी की घोषणा के बाद लोगों ने अपनी ब्लैक मनी को सोने और जूलरी खरीदने में लगा दी। जूलर्स ने इसके बाद अलग-अलग बिल देकर लोगों की असली पहचान छिपा ली।’ बता दें कि 8 नवंबर को ही पीएम मोदी ने 500 और 1000 रुपये के नोट को चलन से बाहर करने की घोषणा की थी।
सूत्र ने बताया कि नोटबंदी को जूलर्स ने अपनी बिक्री बढ़ाने का जरिया माना और वे ऐसे पैसों को गहनों की बिक्री दिखाकर बच गए। उन्होंने कहा, ‘जूलर्स ने अज्ञात आय को सोने में बदलने का प्लैटफ़ॉर्म उपलब्ध कराया।’ जो बिल दिए गए वो अलग-अलग थे और दो लाख रुपये से कम के थे। इसके अलावा खरीदारों की सूची भी फर्जी थी। जांच के बाद पता चला कि कई खरीदार तो वित्तीय तौर पर काफी कमजोर थे और वे बिल में दिखाई गई राशि इतना पैसा खर्च करने की स्थिति में ही नहीं थे।